Saturday, May 10, 2008

नमन माँ....

प्रिया माँ,
रविवार को मदर्स डे है....हर साल होता है ..इस साल भी...जाहिर है जब टीवी, रेडियो, विज्ञापन पर हर वक्त माँ की ममता की कहानियां सुनाई जा रही हैं...तोः किसी का भी मन अपनी माँ की याद में खोने का कर सकता है....येः अलग है....करोड़ों माओं में से सिर्फ़ कुछ माएं ही टीवी और अखबार या इस जैसे दूसरे माध्यमों के जरिये ख़ास होने का दर्जा पा जाती हैं वहीं... गाँव और कस्बे में अपनी औलाद के लिए सबसे बेहतर की दुआओं में लगी माओं की आज भी कोई नही सुनता ना टीवी, न रेडियो न बाजार...आख़िर बाजार को पैसे वसूलने हैं..तोः ऐसे में अपनी गाँव की सीधी साधी माँ को याद करने की जरुरत बाजार को कहाँ है...टीवी चैनल्स, अखबार,रेडियो और वेब को कहाँ है...जाहिर है बाजार में वही टिकता है जो या तोः बिकता है या फिर बेंचता है....और अम्मा तुम तोः ठहरी सीधी साधी तुम्हे येः सब चोंचले कहाँ आते हैं...तुम्हे तोः प्यार देना आता है...सबको एक सा....मुझे भी अम्मा तुम्हारी याद आने लगी है...क्या-क्या न कहूँ आपके बारे में ....आज भी माँ के लिए निदा फाजली से बेहतर किसने लिखा है....
बेसन की सोंधी रोटी पर, खट्टी चटनी जैसी माँ.....
फटे पुराने एक अल्बम में चंचल लड़की जैसी माँ.....
माँ दिल की असीम गहराइयों से आपको नमन.....आप सलामत रहें, खुशहाल रहें.....यूँही खिलखिलाती रहें....बस....हमेशा यही प्रार्थना है...
आपका बेटा

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फुहार

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प्यार करता हूँ सबसे, आपकी कोई भी मदद बिना नफा नुक्सान सोचे कर दूंगा, अपने गुस्से से बहुत डर लगता है, हमेशा कोशिश रहती है की बस ''गुस्सा'' न आये मुझे, लोग मुझे बहुत अच्छे दोस्त, शरीफ इंसान और एक इमानदार दुश्मन के तौर पर याद रखते हैं, एक बार दुश्मनी कीजिये, देखिये कितनी इमानदारी से ये काम भी करता हूँ,