Saturday, June 21, 2008

नसों से रिसते दर्द की दास्ताँ...

If you have a function/party at your home and if there is excess food available at the end, don't hesitate to call 1098 (only in India) - child helpline They will come and collect the food Please circulate this message which can help feed many children PLEASE, DON'T BREAK THIS CHAIN.... 'Helping hands are better than Praying Lips'। Pass this to all whom you know and whom you dont know as well
मीडिया के बेहद करीबी मित्र हैं नितिन श्रीवास्तव, इस वक्त इंडिया न्यूज़ चैनल के प्रोड्यूसर हैं, पिछले कई वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में हैं तोः इस मीडिया की जरुरी दिक्कत वक्त की कमी के शिकार हमेशा रहते हैं, इसकी वजह से मुझे भी अक्सर वक्त नही दे पाते और मेरे कोप का भाजन बनते रहते हैं, कई बार बरास्ते मेल और फ़ोन मेरे कठोर वचन सुनते रहते हैं, बेहद गहरी आंखों की गहराई से मुझे देखकर सिवाय हंस देने के इनके पास कभी कोई चारा नही रहता, मेरे गुस्से को सही जगह लगाने के लिए अक्सर कुछ बेहतर चीजें और पंक्तियाँ मुझे मेल करते रहते हैं ताकि अपना दिमाग ठिकाने रख सकूँ, मीडिया में मेरे तमाम शुभचिंतकों की तरह हमेशा अच्छी और सबसे बेहतर सलाह देते रहते हैं...
आज सुबह भी नितिन की मेल आई, इनबोक्स में मेल देखते ही राहत हुयी की कुछ बेहतर ही होगा पदने लायक, सब काम ख़त्म करके नितिन की मेल पदने का मन बनाया, उस वक्त मुझे भी एहसास नही था की नितिन की मेल देखकर मेरी रूह कांप जायेगी, वैसे रूह कितना कापी कितना तकलीफ हुयी इसका पैमाना तोः नही था लेकिन तस्वीर ने जो कहा वो बहुत दुखदायी था, एक तरफ़ मौर्या शेरेटन और लुटियन की दिल्ली की भव्यता दूसरी तरफ़ संवेदनाओं को भी चरम तक चोट पहुंचाने वाली घोर गरीबी...दरअसल मेल में एक भूख से जर्जर हुए और जिन्दा रहने के लिए जद्दोजहद करते बच्चे की तस्वीर थी जो अन्न का एक टुकडा पाने के लिए संघर्ष करने में जुटा था, तस्वीर को देखकर जो होना था वह तोः हुआ ही लेकिन इस बीच एक संकल्प जरूर बेहद मजबूती के साथ मन में उपजा, की कम से कम अन्न की बर्बादी और दिखावे का नंगा नाच करने से जीवन में जितना बचा जा सके बचने की जरुर कोशिश करूँगा...यही है वो तस्वीर और येः है एक जरुरी जानकारी जो देश की बहुत सी भूखी आत्माओं को तृप्त कर सकेगी हमारे और आपके सहयोग से...
मेरी और शायद मुझ जैसे तमाम इंसान कहे जाने वाले लोगों की आत्माओं को अरसे बाद इस कदर झकझोरने के लिए नितिन को साधुवाद..इस तस्वीर के साथ कुछ शब्द लिखे हैं जिनका मतलब है इस कड़ी को टूटने न दें, तोः यही अपील की इस कड़ी को संवेदनाओं और इंसानियत के मापदंडों पर रखकर इसे टूटने न दें...
पत्रकारों की संवेदनशील जमात में खड़ा होने के लिए नितिन मेरी तरफ़ से साधुवाद, तुमने जो जीवन भर किया है उन्ही तर्कों,विचारों और सिद्धांतों पर कायम हो ये कम से कम मेरे लिए राहत की बात है...
''हृदयेंद्र''





2 comments:

VARUN ROY said...

हृदयेंद्र जी,
बड़े दिनों के बाद आज आपके ब्लॉग पर जाने का सुअवसर हुआ.
भूख मिटने के जद्दोजहद करते उस मासूम की तस्वीर भी देखी और अंगरेजी
में लिखा आपका निवेदन भी पढ़ा. दोनों ही दिल को छूने वाले थे .
बचे खुचे खाने के लिए चाइल्ड हेल्प लाइन को फोन करने से भी अच्छा होता
यदि हमलोग ऐसे उत्सवों के समय इन भूखे और गरीब बच्चों के बारे में सोचते हुए
पार्टी के बजट में इनके लिए भी कुछ रुपयों का प्रावधान रख सकते. भगवान् आपके अन्दर के
इन दुर्लभ जज्बातों को बचाए रखे.
वरुण राय

dinesh kandpal said...

लगभग दो साल तक ह्रदयेन्द्र के साथ ईटीवी में काम किया, कुछ महीने तो एक ही कमरे में साथ भी रहा लेकिन परिचय आज ब्लाग पर ङुआ है। ह्रदयेन्द्र जिस संवेदनशीलता के साथ तुमने लिखा है वो दिल को छू लेने वाला है। गुस्सा तो तुम्हारी नाक पर बैठा रहता था इतनी गहराई कब पा गये मेरे भाई ? बढ़िया लिखा है। कहां हो आजकल ?
दिनेश काण्डपाल

फुहार

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प्यार करता हूँ सबसे, आपकी कोई भी मदद बिना नफा नुक्सान सोचे कर दूंगा, अपने गुस्से से बहुत डर लगता है, हमेशा कोशिश रहती है की बस ''गुस्सा'' न आये मुझे, लोग मुझे बहुत अच्छे दोस्त, शरीफ इंसान और एक इमानदार दुश्मन के तौर पर याद रखते हैं, एक बार दुश्मनी कीजिये, देखिये कितनी इमानदारी से ये काम भी करता हूँ,