Saturday, May 2, 2009

कहानी चिरकुट डॉट कॉम की

कई बार बहुत कुछ करने और होने के कोई मायने नहीं होते, कुछ ऐसा ही हम सब के साथ अक्सर या यूँही हो जाता है, एक बेहद दिलचस्प वाकया भी कुछ यूँ ही हो गया और मजाक मजाक में चिरकुट डॉट कॉम नामक वेबसाइट के जन्म की पटकथा लिख ली गयी, दरअसल हुआ कुछ यूँ की एक तकनीक के माहिर मित्र के यहाँ वेबसाइट के निर्माण की बात हो रही थी , इतने में कई चुतियापे भरे सवालों से मेरे मित्र का जैसे ही सर भारी हुआ तो उन्होंने मजाक मजाक में कह दिया भाई चिरकुट डॉट कॉम नामकी वेबसाइट बना डालो, बात मजाक में कही गयी थी लेकिन जब गंभीरता से सोचा तब इस चिरकुट से लगने वाले चिरकुट डॉट कॉम की कई सारी खासियतें पता चली, मसलन अपने बेजोड़ नामके चलते ही कई चिरकुट किस्म के प्राणी इस वेबसाइट से जुड़ सकते हैं, और तो और दुनिया भर का चिरकुट साहित्य और चिरकुट विचारों का मेरे ख़याल से ये अकेला मंच हो सकता है बस जरुरत है तो कुछ चिरकुट किस्म के लोगों को पकड़कर एक अदद चिरकुट डॉट कॉम को शुरू करने भर की, बस फिर देखिये कैसे दुनिया भर के चिरकुट अपनी चिरकुटई से इस चिरकुट डॉट कॉम को किस चिरकुट स्तर तक मेरा मतलब है की '' शीर्ष'' तक पहुंचाते हैं... शायद इसी को कहते हैं मजाक मजाक में एक क्रांतिकारी विचार का उपजना, तो आज से चिरकुट, चूतिये, चुतियापे, चुतियापंथी, चिल्लर, चम्पक, लल्लू, पप्पू और उठाईगीर टाइप के शब्दों पर गंभीरता से सोचना शुरू कीजिये पता नहीं इन फालतू टाइप शब्दों से कौन सा क्रांतिकारी विचार पनप जाए....
तो चिरकुटों की संपूर्ण बिरादरी को प्रणाम के साथ
हृदयेंद्र
२/५/२००९

1 comment:

Anonymous said...

chirkut.com और chirkoot.com दोनों ही नहीं चल रही हैं।

फुहार

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प्यार करता हूँ सबसे, आपकी कोई भी मदद बिना नफा नुक्सान सोचे कर दूंगा, अपने गुस्से से बहुत डर लगता है, हमेशा कोशिश रहती है की बस ''गुस्सा'' न आये मुझे, लोग मुझे बहुत अच्छे दोस्त, शरीफ इंसान और एक इमानदार दुश्मन के तौर पर याद रखते हैं, एक बार दुश्मनी कीजिये, देखिये कितनी इमानदारी से ये काम भी करता हूँ,