अपनी गुरबत के दिनों में एक शख्स से मेरा साबका पड़ा...नाम था अमृत शर्मा...चेहरे पर बेहद ज्यादा फैली हुयी दाढी आँख पर मोटा चश्मा और उसके भीतर से घूरती आँखें...कुल मिलकर अमृत भाई साहब के साथ पहला इन्काउन्टर बेहद खतरनाक हो सकता है किसी के लिए भी...मेरे लिए भी था...संस्थान में मेरे सीनिअर थे तोः पहली बार नजरें मिलने पर मेरी तरफ़ से रेस्पांस तीखा ही था...एक तोः सीनियर उपर से इतना खतरनाक आउटलुक....बाप रे बाप....सोचा एक और खून चूसू आ गया..खून पीने..बस उस दिन का बेसब्री से इन्तजार कर रहा था की कब काम शुरू हो और अमृत शर्मा नामक येः सीनियर मेरा खून चूसना शुरू करे...वैसे सीनियर कहलाने वाले प्राणियों से दूर ही रहना पसंद करता हूँ..पर जीवन में जो होना होता है..होकर रहता है...न चाहते हुए भी वो दिन आया जब हमने शब्दों का आदान-प्रदान किया....बेहद अपनेपन से मिले..बडे भाई सा स्नेह...कई सारी सलाहें और मेरे भविष्य को लेकर कई चिंताएँ...हर अगली मुलाक़ात में अमृत भाई साहब और भी करीब होते गए...अपने काम को सरल कैसे बनाया जाए इसपर भी कई सलाह मुझे मिली...
वक्त गुजरा हम एक सीनियर और जूनियर की बजाय बडे और छोटे भाई ज्यादा लगते...वक्त का पहिया घूमा मैने संस्थान छोडा तरक्की हासिल की...और मेरी हर तरक्की पर अमृत भाई साहब खुश होते पहले से भी ज्यादा साथ में बेहद काम की सलाह भी देते....
सबकुछ मजे में चल रहा था की अचानक एक रात फ़ोन आया की अमृत शर्मा ने इस्तीफा डे दिया...बेहद चंचल और मजेदार इंसान, मेहनतकश, काम को कभी भी काम की तरह न करने वाले इस इंसान को इस्तीफा देने की क्या जरुरत आन पड़ी....जब जाना तोः वही..पुरानी कहानी, किसी के अहम् की भेंट एक इमानदार इंसान की नौकरी चढ़ गई...न अमृत शर्मा कोई सेलेब्रिटी हैं और न बडे पत्रकार की उनके इस्तीफे पर कोई हांयतौबा मचे लेकिन दुनिया को सही और सच दिखाने का दावा करने वाली बिरादरी का सच इतना वीभत्स क्यों है....जवाब शायद ही किसी के पास है...कितने और मेहनतकश अमृत शर्मा ताकतवर ठेकेदारों के अहम् की भेंट चढ़ जायेंगे इसका किसी के पास कोई जवाब है क्या?
हृदयेंद्र
Tuesday, May 13, 2008
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फुहार
- hridayendra
- प्यार करता हूँ सबसे, आपकी कोई भी मदद बिना नफा नुक्सान सोचे कर दूंगा, अपने गुस्से से बहुत डर लगता है, हमेशा कोशिश रहती है की बस ''गुस्सा'' न आये मुझे, लोग मुझे बहुत अच्छे दोस्त, शरीफ इंसान और एक इमानदार दुश्मन के तौर पर याद रखते हैं, एक बार दुश्मनी कीजिये, देखिये कितनी इमानदारी से ये काम भी करता हूँ,
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