Saturday, July 4, 2009

क्या आप रैम इमैनुअल को जानते हैं


बहुत लोग रैम इमैनुअल को नही जानते होंगे, दूसरे कई नौजवान साथियों की तरह पता नही क्यूँ लगता है की दुनिया में सबसे बेस्ट आज भी अमेरिका है, कई चीजों में हमसे मसलन डेमोक्रेसी, नौकरशाही,आर्थिक विकास और इमानदारी से लोगों को प्रतिभा के मुताबिक मौके उपलब्ध कराने के मामले में ( निजी अनुभव के आधार पर),
अमेरिका की कई चमकदार चीजों की तरह उनके राजनेता भी खासे चमकदार और प्रतिभाशाली होते हैं,
दरअसल रैम इमैनुअल का जिक्र यूँही नही किया है मैंने, सालों से लालू यादव जैसे विदूषक, सुरजीत और करात जैसे सत्ता के दलालों और अपच पैदा करने की हद तक अपनी संस्कृति को ढोनेवाले दक्षिण के नेताओं के साथ कांग्रेस के चाटुकार नेताओं की लम्बी फौज ने राजनीति नाम की चीज से ही विरक्ति पैदा कर दी है, जब इस देश के नेताओं को देखता हूँ तो वाकई एक बड़े से शून्य के सिवाय राजनीति में और कुछ नही दीखता, जिनको देश का युवा तुर्क कहा जाता है वो या तो अपने बाप की विरासत ढो रहे हैं या फ़िर बिना कुछ किए धरे हर तरह के मजे लेने के अपने खानदानी हुनर का लुत्फ़ ले रहे हैं, संसद में जब भी कारर्वाई देखता हूँ, उबासियाँ लेते नेता जिनके चेहरे से तेज, फुर्ती, चुस्ती सिरे से गायब है, इनसे कोई अक्ल का अँधा भी उम्मीद नही कर सकता, वही पश्चिम के नेता जहाँ पूरी तरह से मुस्तैद और बहुत कुछ करने को उतावले दीखते हैं, चार साल पहले शायद किसी ने बराक ओबामा का नाम सुना हो लेकिन ओबामा अचानक आए और पूरी दुनिया को अपने विचारों और नीतियों से हिलाकर रख दिया,
तो मुद्दे पर आते हैं साहब रैम इमैनुअल भी ओबामा की ही तरह अमेरिका की राजनीति की सनसनी हैं, इन्हे भी अपने बॉस ओबामा की तरह कुछ साल पहले शायद ही कोई जानता रहा हो लेकिन चुपचाप काम करने और अपनी नीतियों को बेहद कठोरता से लागू कराने वाले रैम अमेरिका की उस नीति की मिसाल हैं जिसमे जोर देकर ''सही व्यक्ति के लिए सही स्थान'' का दावा किया जाता है, १९५९ में शिकागो में जन्मे रैम, जेविश माता-पिता की औलाद हैं, बेहद साधारण परिवार से आने वाले इमैनुअल ने रेस्तरा में काम करने से लेकर पसंदीदा बैले डांस मन लगाकर किया और २००८ में बराक ओबामा के मुख्या रणनीतिकार अक्सेलराद से अपनी दोस्ती के चलते बराक ओबामा की टीम में शामिल हो गए, इनके मशहूरियत के बारे में इतना ही काफ़ी है की अपनी सख्त छवि के चलते ज्यादातर लोग इनको ''रैम्बो'' नाम से जानते हैं, शायद हमारे देश में अरसे से किसी राजनेता नें रैम्बो जैसा बयान दिया हो और उस पर अमल भी किया हो इस बयान को सुनकर ही पश्चिम के राजनीतिक लोगों की समझ का कुछ बहुत अंदाजा लगाया जा सकता है, इन्होने एक बार कहा था की'' Never allow a crisis to go to waste। They are opportunities to do big things ,, उपभोक्ता हितों के लिए संघर्ष करते करते रैम बिल क्लिंटन की चुनावी टीम का हिस्सा बने और उनको सलाह दी की चुनाव के लिए चंदा उगाहने का तरीका बदलिए जनाब जिसका नतीजा रहा की क्लिंटन ने आक्रामक चंदा उगाही अभियान चलाया और लोगों से मिलने और उन तक अपनी नीतिया पहुंचाने के लिए ज्यादा समय दिया और व्हाइट हाउस का सफर तय किया, इस तरह से क्लिंटन के साथ रैम्बो १९९३ से १९९८ तक सीनियर सलाहकार के बतौर काम किया, इतना ही नही अरब इस्रायल शान्ति वार्ता के लिए भी रैम्बो ने काफ़ी काम किया और इस्रायली प्रधानमंत्री इत्जाक रोबिन और फिलिस्तीन नेता यासर अराफात के बीच बातचीत का दौर भी शुरू कराया, एक राजनेता, समाजसेवक, इनवेस्टमेंट बैंकर और रणनीतिकार जैसे हर रंग में रैम पूरी सफलता से रमे , यही वजह रही की बराक ओबामा ने पहले तो उन्हें अपना रणनीतिकार बनाया फ़िर व्हाइट हाउस का चीफ ऑफ़ स्टाफ बनाकर एक सुलझे हुए और दूरदर्शी इस्रायली को साफ़ सुथरा और बेहतर मौका दिया,
अब कुछ और मुद्दे जिन पर हमारे जैसे लोग सोचते हैं
१-क्या भारत में कोई व्यक्ति जो भले किसी देश का नागरिक रहा हो लेकिन उसको आगे बदने के इतने साफ़ और पारदर्शी मौके मिलते हैं
२-क्या हमारे देश में वाकई समाज और राज्य के लिए कुछ करने की हिम्मत रखनेवाले और दूरदर्शी नेताओं को खूसट और खुर्राट नेता आगे बढ़ने देंगे
३-क्या हमारे देख में कोई नेता जनता के हित के लिए रैम्बो जैसी दबंगई के साथ अपनी नीतिया लागू करवा सकता है
४-बड़े बड़े प्रचार और दावों के बावजूद क्या वाकई सभी को अपनी प्रतिभा दिखाने का साफ़ और पारदर्शी मौका देश के हर नौजवान को मिलता है,
दरअसल रैम्बो के बहाने कुछ सवाल थे मन में की क्या वाकई इस देश में राजनीती उस मुकाम पर है जहाँ से कुछ बेहतर की उम्मीद मिल सके, जब विकसित देशों के नेता उनकी नीतियाँ और तरीकों पर गौर करता हूँ तो बस आह के सिवा इस देश की राजनीति से कोई उम्मीद नही मिलती, जहाँ रेल मंत्री हर तरीके से अपने राज्य के लोगों और अपने वोट बैंक को ध्यान में रख काम करता हो, जहाँ प्रतिभा पाटिल को इसलिए प्रेजिडेंट के ओहदे पर बिठाया जाता है क्यूंकि एक पार्टी की मुखिया को उनके जरिये देश पर जबरन अपना एजेंडा थोपने में मदद मिलेगी, जिन राहुल को देश का पालनहार बताया जा रहा है उन्होंने अपनी मर्जी से कितना काम इस देश के लिए किया है इसका जवाब कोई भी दे देगा, जहाँ नेता थोपे जाते हो उस देश का भविष्य उज्जवल है इसे घोर आशावाद के सिवाय और कुछ नही माना जा सकता, दरअसल इस देश को जरुरत है अमेरिका जैसे राजनीतिक सिस्टम की जहाँ काम करने वालों को आगे बढाया जाता है काम करने के लिए शायद तभी रैम इमैनुअल जैसे लोग बराक ओबामा को सलाह देकर हर हालत में सबसे बेहतर की कोशिश में जुटे हैं वो भी राजनीति जैसे क्षेत्र में, क्या भारत में कभी मुमकिन होगा ऐसा कर पाना किसी रैम इमैनुअल के लिए,

फुहार

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प्यार करता हूँ सबसे, आपकी कोई भी मदद बिना नफा नुक्सान सोचे कर दूंगा, अपने गुस्से से बहुत डर लगता है, हमेशा कोशिश रहती है की बस ''गुस्सा'' न आये मुझे, लोग मुझे बहुत अच्छे दोस्त, शरीफ इंसान और एक इमानदार दुश्मन के तौर पर याद रखते हैं, एक बार दुश्मनी कीजिये, देखिये कितनी इमानदारी से ये काम भी करता हूँ,